अमूक, उसे निहारता रहा लब सिल गये। मेरी खामोशी को बेरूखी समझ बढ गये, वे अकेले थाम लिया दूसरे का दामन तन्हा रह गया मैं अकेला।। मेरी आशिकी के किस्से, बंद रह गए, मेरी डायरी में।। घरवाली ने रद्दी समझ, बेच डाला, कौङियों के मोल। आवाक् हो सिर्फ “उफ्फ “कह सका कमबक्त, दोषी तो मेरा […]