SOURCE: here जब हम बच्चे थे अक्ल के कच्चे थे हमारे मन सच्चे थे ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं द्वेष और भेदभाव से परे।। अपनी इक छोटी सी दुनिया जो सजती गुङिया-गुड्डों, रंग-बिरंगे खिलौने से जिनमें बसती थी जान हमारी।। सज-संवर कर रंग-बिरंगे कपङों में माँ की ऊँगली पकङ कर जाते हम स्कुल ज्योंहि माँ ऊँगली […]