घना कोहरा, बर्फीली ठण्ड, ठिठुरते नन्हें फरिश्ते, तन पर कपङे कम, बटोरी लकङियों से, अंगीठी जलाकर, मालिस करती माँ।। © इला वर्मा 06-01-2016
घना कोहरा, बर्फीली ठण्ड, ठिठुरते नन्हें फरिश्ते, तन पर कपङे कम, बटोरी लकङियों से, अंगीठी जलाकर, मालिस करती माँ।। © इला वर्मा 06-01-2016
तुम्हारी खुशी की खातिर हमने वादा तो दे दिया हम उदास न होगें तेरे बिन बस एक बार मेरी आँखों में झाँक तो लिया होता मेरी आँखों में तैरती है तस्वीर तेरी।। भूलाना तो नाममुमकिन है मेरे ख्बाबों में भी बसते हो सिर्फ तुम ही तुम।। प्यार मेरा सच्चा है तेरे लिए पर स्वार्थी नहीं […]
अनभिज्ञ थे हम दुनिया के रस्मों-रिवाजों से कस्बें की मोहतरमा से दिल लगा बैठे।। © इला वर्मा 29/12/2015 Pic Credits: here
अमूक, उसे निहारता रहा लब सिल गये। मेरी खामोशी को बेरूखी समझ बढ गये, वे अकेले थाम लिया दूसरे का दामन तन्हा रह गया मैं अकेला।। मेरी आशिकी के किस्से, बंद रह गए, मेरी डायरी में।। घरवाली ने रद्दी समझ, बेच डाला, कौङियों के मोल। आवाक् हो सिर्फ “उफ्फ “कह सका कमबक्त, दोषी तो मेरा […]
ख्बाबों में वे, दस्तक देते हैं रोज।। आ जाओ अब, मेरे आगोश में। दूरियाँ, सही नहीं जाती अब। मुद्दत से कर रही हूँ, इंतजार, मुहुर्त, उस पल का, जब मैं “मैं” न रहूँ, तुम “तुम” न रहो, हो जाए “हम” हर सफर हो साथ, ये नजदीकियाँ।। © इला वर्मा 21/11/2015
मैं बेखबर दबे पाँव वे मुस्कुराए हुई गुलजार जिंदगी । © इला वर्मा 08/11/2015 Image Source: Google
मेरा अजीज बन गया अजनबी दूर आगे बढ गया बेमायने हुऐ, कल के रिश्ते रौंद कर निकल गया। बेजुबान, एक टक घूरती रही नम आँखों से बिदा किया शिकवों का तो अंबार था पर जुबां हिली नहीं दिल ने हजार दुआएँ दी यह अजनबी मेरे दिल के करीब है अभी भी अजीज है। © इला […]
स्याह रात है आओ हम सजा दें अपने प्यार के सितारों से रौशन कर दें समां अपने अरमानों से। © इला वर्मा 07/11/2015 Source: Google
जालिम संसार ना सुखी को सुख से रहने दिया और ना ही दु:खी का सहारा बना ।। © Ila Varma 2015 Image Source: Google
यह एक जिंदगी की नहीं यह हर नारी की हार है फिर से पराजित हुई नारी हामी भरते हैं हम अपनी आधुनिकता व विकास पर क्रद नहीं करती समाज नारी की जुल्म की शिकार होती रहती है नारी दोषी टहराते हम उसको हमेशा हजारों उंगली उठाते उसकी अदा व पहनावे पर पर बोलो क्या सुरक्षित […]