लटें भींगी तन भी भींगा आनंद ले रहे थे कपङे उनके तन के जो चिपकी जा रही थी आनंदित हो आहलाहित हो उनके तन के खुश्बू से।। मैं भी कहाँ शरीफ? खिङकियों के ओट से नजर टिकी थी मेरी उन पर […]
लटें भींगी तन भी भींगा आनंद ले रहे थे कपङे उनके तन के जो चिपकी जा रही थी आनंदित हो आहलाहित हो उनके तन के खुश्बू से।। मैं भी कहाँ शरीफ? खिङकियों के ओट से नजर टिकी थी मेरी उन पर […]
मेरा अजीज बन गया अजनबी दूर आगे बढ गया बेमायने हुऐ, कल के रिश्ते रौंद कर निकल गया। बेजुबान, एक टक घूरती रही नम आँखों से बिदा किया शिकवों का तो अंबार था पर जुबां हिली नहीं दिल ने हजार दुआएँ दी यह अजनबी मेरे दिल के करीब है अभी भी अजीज है। © इला […]