अंबर में लालिमा छाई, फटने लगी पौ, किरणों की उष्णता से, पनप उठा लौ, कण कण में, जीवन का हुआ संचार, प्रफुल्लित हुआ यह घर-संसार।। कलियों ने ली अंगङाई, रंग बिरंगी पंखूरी फैलायी, मदमाती तितलियाँ नाच उठी, चिङियों के कलरव से, गूँज उठी बगिया में शहनाई।। नमन है, नतमस्तक है, यह जग सारा, […]