सांस थमते,
अस्थी और अस्तित्व,
पंचतत्व में विलिन,
रह गयी सिर्फ,
ख्याति तुम्हारी,
जिन्हें याद कर
लोग होते गमगीन।।
© इला वर्मा 29/12/2015
सांस थमते,
अस्थी और अस्तित्व,
पंचतत्व में विलिन,
रह गयी सिर्फ,
ख्याति तुम्हारी,
जिन्हें याद कर
लोग होते गमगीन।।
© इला वर्मा 29/12/2015
6 replies on “कठोर सत्य।।”
kathor v katu satya ! sashakt prastuti .
Dhanyavaad Kokila. Iss sachai se koi bach nahin sakta hai
Sublime and ultimate truth.
badhiya…
Dhanyavaad Archana
Thanks