कानून बंद रह गये,
मोटी किताबों में।
शर्मशार हुए सब,
कानून के फैसले से,
आहत किया,
झकझोर दिया, अंतरमन
एक ही प्रश्न मन में उपजे,
बारंबार,
कैसे सुरक्षित करे हम
अपनी बेटियों को
जो हमारी बगिया की
आन और शान।।
जमाने के ठेकेदारें से
जो लिप्त हैं,
ईमान की निलामी में,
सरेआम।।
© इला वर्मा 22/12/2015
(The thought shared after the court verdict who freed the monster of Nirbhaya’s case on the pretext of juvenile, though his acts weren’t in a category of juvenile. The laws has too many loop holes and need to be amended with time.)