जमाने ने गम दिया
तो मैं चीखी- चिल्लायी
पर
जब अपनों ने सितम ढाया
तो आँखें हुई नम
दिल रोया जार-जार
खाई थी चोट अपनों से
जाती मैं कहाँ।।
© इला वर्मा 09-01-2016
जमाने ने गम दिया
तो मैं चीखी- चिल्लायी
पर
जब अपनों ने सितम ढाया
तो आँखें हुई नम
दिल रोया जार-जार
खाई थी चोट अपनों से
जाती मैं कहाँ।।
© इला वर्मा 09-01-2016
4 replies on “कासे कहूँ”
So poignant
Thanks a lot.
Poignant capturing the deep felt emotions rightly!
Thanks a lot.