Categories
Creative Writing Fiction Short Stories

वादा अब्बू

“अब्बा-अब्बा” चीखती चिल्लाती अमीना मनसूर के कमरे में दाखिल हुई ।
“क्या बात है अमीना,सुबह सुबह इतना शोर शराबा क्यों?”
“मुझे आपसे एक बात पूछनी है, वादा करो, जो कहोगे,सच कहोगे।”
” अरी बात क्या है, सुबह-सुबह मुझे कटघरे में कयुँ पेश कर रही है। मैंने ऐसा क्या
किया है?”
“बोल दूँ, सोच लो बाद में मुझे कुछ न कहियो।”
“पहेलियाँ न बुझा, सीधे सीधे बोल।”
“बक्से में जो डायरी है,वह किसकी है?”
मनसुर के चेहरे का रंग अचानक से फीका पङ गया । अमीना कोने में ठिठक गयी।
“कैसी डायरी की बात कर रही है।” फूफी ने पूछी।
“मनसूर लङकी पर ध्यान दे, बङी हो रही है। कहीं ऊँच नीच न हो जाये।” फूफी बोल पङी। उनका ध्यान हर वक्त अमीना पर ही रहता ।
“बाजी, कोई बात नहीं, इसे तो मुझे परेशान करना अच्छा लगता है।” मनसूर ने बात को टाल दी।
अमीना को समझते देर न लगी कि कुछ बात तो है, उसके अब्बा फूफी की बहुत कद्र करते, आज उनकी बात को टाल गए।उसकी उत्सुकता और बढ गयी।
“क्या बात है, अब्बू।” अमीना ने मनसूर को टोका।
मनसूर ने उसे चुप रहने का इशारा किया।
———————————————————-
“चल खेत की तरफ, मैं वही आता हूँ।”
अमीना दपट्टा सर पर रख कर, कमरे से बाहर हुई ही थी , तभी फूफी की पूकार उसकी कानों में पङी।
“अमीना अमीना, कहाँ मर गयी?”
“आई फूफी।” कहते हुए अमीना फूफी के पास रसोई घर में पहुँची।
“अंगीठी पर चाय की पानी उबल रही है। जरा चाय बनाकर सबको दे आ।” अमीना के दिलो दिमाग में तो अंतरद्दंत चल रहा था, पर वह फूफी की बात टाल नहीं सकती। चाय बनाकर सबों को बाँट दिया।
“फूफी, मैं अब्बा के संग खेत पर जा रही हूँ। उनकी तबियत ठीक नहीं लग रही है। साथ के लिए जा रही हूँ।”
“ठीक है जा, पर देर न करियो।” फूफी की हिदायत की आदत से मेरी रग-रग वाकिफ थी। दौङती हुई मैं खेत पर पहूँची। अब्बू पगडंडी पर बैठे, सोच विचार में खोये हुए।
“अब्बू, क्या बात हुई। डायरी के नाम सुनते आप इतना उदास क्युँ हो गए।”
“अमीना, बात ही कुछ ऐसी है। यह दर्द सालों से मेरे अंदर दफन है। आज तुमने उस जख्म को कुरेद दिया।” मैं एकटक देखती रह गयी।
” यह बात बहुत पुरानी है। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की समय की बात है। करांची के पास के कस्बे में हम सब रहते थे। वही पर एक हिंदू परिवार भी रहता था। हमारी परिवार से काफी आना जाना था। वृंदा उनकी बेटी हमारी हमउम्र थी। हम दोनों साथ खेले बङे हुए। हमारे बीच में प्यार कब पनप गया, पता ही नहीं चला। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की घोषणा हुई और तय हुआ कि हिंदू परिवार को पाकिस्तान छोङना पङेगा। वृंदा का परिवार भारत जाने की तैयारी करने लगे। वे लोग भी खुश नहीं थे, पर मजबूरी थी। हम दोनों दिल लगा बैठे थे। इस अलगाव की बात से हम दोनों बेचैन थे। हमारा प्यार परवान चढ चुका था। अंदर ही अंदर हम सुलग रहे थे और एक दिन एकांत में हमारे कदम डगमगा गये और हम दोनों ने मर्यादा की सीमा लांघ ली। हमारी बेचैनी दिन प्रतिदिन बढती जा रही थी। वृंदा के परिवार वाले सीमा के उस पार चले गए। कुछ दिनों बाद वृंदा को पता चला कि वो माँ बनने वाली है। हम दोनों की गलती की सजा कहो या प्यार की निशानी। शुरू में तो उसने यह बात किसी को नहीं बतायी पर ज्यादा दिन छिप न सकी। घर परिवार को जब पता चला तो उसे बहुत मारा- दुतकारा गया और गर्भ गिरवाने की तैयारी की गयी। डाक्टरनी ने परिवार को समझाया कि वृंदा की जान का खतरा है। उसके परिवाले को वृंदा की परवाह नहीं थी। डाक्टरनी को वृंदा पर तरस आ गया, उसने उसको अपने घर पर पनाह दे दिया और वहीं पर वृंदा ने एक लङकी को जन्म दिया। वृंदा के कहने पर डाक्टरनी ने मुझे अपने घर पर बुलाया और बच्ची को मुझे सौंप दिया। वृंदा अपने घर चली गयी। उसके घर वाले उसकी भूल को माफ नही कर सके और उसे जलाकर मार डाला। मैं भी वृंदा के पास जाना चाहता था परन्तु हमारी निशानी हमारे पैर की बेङियाँ बन गयी।” अब्बू की सिसकियाँ तेज हो गयीं। लगा जैसै वर्षों से थमा सैलाब अपनी सीमा तोङ गया।

मैं भी गमगीन हो गयी।

“जानना चाहोगी वह लङकी कौन है, जिसे वृंदा ने जन्म दिया। अमीना, तुम हमारे प्यार की निशानी हो। वृंदा तुम्हारी माँ है। मैंने अपनी पूरी जिंदगी वृंदा के नाम और तुम्हारे लिए अकेले ही काटी। यह बात किसी को नहीं बताना नहीं तो तुम्हारा जीना दूभर हो जाएगा। घर परिवार में लोग जानते हैं कि तुम हमारे करीबी दोस्त की बेटी हो जो एक्सिडेंट में मारे गये। डायरी में जो तस्वीर है वो वृंदा की हैं। उन यादों और तुम्हारे साथ मेरी जिंदगी की डोर बँधी हुई है।” मैं ठगी सी अब्बू के दर्द को भाँपने की कोशिश कर रही थी।
” अमीना, इसकी जिक्र किसी से न करना ना ही कभी यह भूल दोहराना। वादा करो” अब्बू ने मुझसे कहा, आँखों में अनेक उम्मीद संजोए हुए।
” वादा अब्बू ” मैंने कहा।
सूरज की किरणाें का तापमान बढ चुका था,हम दोनों घर की ओर चल पङे।
© Ila Varma 26/10/2015  

Loading

By Ila Varma

Blogger By Profession, Brand Ambassador, Freelancer Content Writer, Creative Writer, Ghost Writer, Influencer, Poet.

Life without Music, just can't think of. Admirer of Nature.
In spite of odds in life, I Keep Smiling and Keep the Spirits burning.

My favourite Adage, "Do Good & The Good Comes Back to You!"

3 replies on “वादा अब्बू”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!