ख्बाबों में तुम्हे पास पाया सोचा था साथ चलोगे मीलों कसमें भी खाई थी संग छोङगें ना कभी मैं भी इतरायी तुम्हारी बातों पर खुद को खुशकिस्मत समझती गम से बहुत दूर अपने आशयाने में ख्बाबों को पिरोया सजाया खूब इठलाती मन ही मन पर जब सहारा माँगा तुम्हारे हाथों का झटक कर बढ गये […]