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कोरोना…तेरा जो भी हो ना… #Pandemicdiaries2020


नया साल जिसका शुभारंभ इतने धूम धड़ाके से हुआ, दो महीने बाद ही रंग बदलने लगा। होली खत्म होते ही ऐसे रंग और तेवर बदले अभी जून खत्म होने को आया लोग प्रकोप से उबर नहीं पा रहे है। सलाह मशविरा ,जीवन, मरण का अंतहीन सिलसिला चल रहा है, पर उबरने की संभावना स्थायी तौर पर अभी नहीं दिखती।

चलिए आस पर दुनिया टिकी है। लाॅकडाउन मे सभी लाॅक हुए, कोरोना वारियर्स को छोड़कर जिसमे सरकारी कर्मी होने के नाते,  मैं भी थी। मेरे घर मे सभी परेशान थे, क्योंकि मेरे घर मे, मेरे और एक आध स्टाफ को छोड़कर, कोई नही रहता। बच्चे पति सब अलग थलग थें इसलिए ज्यादा परेशान थें।

मधुमेह और उच्च रक्तचाप का मरीज होने के बावजूद अभी कोरोना के भय से बाकी बिमारियों ने दुम दबा लिया। बीमारियाँ शारिरिक जो रहे पर मानसिक हालात से बहुत हद तक प्रभावित होती है। मेरा भी हाल अकेले रहने की वजह से सही नही रहता था। जरा सी आहट होती थी, लगता था कहीं ये वो तो नहीं।


लाॅकडाउन खत्म होने के बाद कुछ सामाजिक जिम्मेदारी निर्वहन के अवसर आने लगे। एक सहेली की शादी की सालगिरह के नाम पर इक्का दुक्का अतिथि के नाम पर आने का आमंत्रण मिला। अभी तक मास्क और ग्लव्स से देह नही निकाला, सामाजिक मिलन का यह अवसर एक बोझ जैसा लग रहा था। पर कुछ मजबूरी थी, मना करना संभव नही हो पाया।

मरता क्या ना करता सोच आफिस के बाद बुके के लिए एक प्रतिष्ठित दुकान मे गई। कांउटर पर मास्क लगा कर दुकान की मालकिन बैठी थी, पर यह क्या एक हाथ से लाॅलीपाॅपनुमा आइसक्रीम मास्क के अंदर घुसा कर स्वाद ले रही थी। लगातार तीन माह से गर्म पानी पीते पीते जली हुई जीभ को यह नजारा बहुत अद्भुत लगा। क्या confidence था

मैने गिफ्ट पैक कराते बातो के क्रम मे उस कूल और कान्फिडेन्ट महिला से कोरोना से बचाव पर राय जाननी चाही। कुछ नहीं, बस गरम पानी जितना हो पीयो, ठंडी चीजो से परहेज करो, आइसक्रीम का स्वाद लेते हुए बताया।

मै बहुत सोच मे पड़ गई…और हाँ दूसरी बात…मुँह पर लगे मास्क को हाथ से एडजस्ट करते हुए बोली,,,चेहरे से हाथ हमेशा दूर रखो…आँख, नाक ,मुँह से ही तो वायरस अंदर चला जाता है…इस गहन जानकारी, और जानकारी के प्रदर्शन के तरीके पर, मै अभिभूत थी…आइसक्रीम खाते हुए ठंढी चीजो से दूर रहने की सलाह हो या हाथ से चेहरा छूते हुए हाथ चेहरे से दूर रखने की सलाह हो।

क्षेत्र भ्रमण के दौरान गांव-देहात मे लोगो को बिना किसी सुरक्षा के आपस मे मिलते देखती हूँ, और मै पूर्ण रूपेण मास्क ग्लवस से सुसज्जित हो गाड़ी से निकलती हूँ…तो मंगल ग्रह के प्राणी जैसा मन लगता है…या तो वो सही हैं या मैं। या तो उनकी इम्यूनिटी सही है या मेरी कमजोर है…या तो वो दिमागी रूप से मजबूत हैं, या मैं ज्यादा भयाक्रांत हूँ...कोरोना…तेरा जो भी हो ना… 😛

Guest Post by Archana Kumari for the blog train series, THE PANDEMIC THAT CHANGED OUR LIFE UPSIDE DOWN gives a humor angle to this pandemic phase.
Archana is my school mate and writing satire and humorous posts are her forte. She is working with Bihar Govt as a District Programme Officer and she is a Corona Warrior working in the field for the welfare of women and children during Covid19.

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By Ila Varma

Blogger By Profession, Brand Ambassador, Freelancer Content Writer, Creative Writer, Ghost Writer, Influencer, Poet.

Life without Music, just can't think of. Admirer of Nature.
In spite of odds in life, I Keep Smiling and Keep the Spirits burning.

My favourite Adage, "Do Good & The Good Comes Back to You!"

14 replies on “कोरोना…तेरा जो भी हो ना… #Pandemicdiaries2020”

Bahut acha laga kafi dino ke baad Hindi Mai kuch pads..yes coronavius pandemic is taking a test of our patience upto a highest level and it is sad that some people didn’t understanding the importance of following rules and taking precautions.

Aapne bahut hi atchhe andaz me, zaroori matra me vyang ka prayog karke corona se Judi zaroori baton k baare me likha hai. Sahi hai, log dusron ko hidayate dete me pechhe nahi hatate magar khud un baton ka palan krne me aalas krte hain.

कोरोना तेरा जो भी हो ना- ये विषय बहुत अच्छा लगा,
बहुत सूंदर तरीके से व्यक्त किया है,कोरोना से जुडी आवश्यक चेतावनी को बताने का अच्छा तरीका है.
सराहनीय

True….the people who have gone through and lost their loved ones know the real pain.
Thanks for being a part of the series, THE PANDEMIC THAT CHANGED OUR LIFE UPSIDE DOWN.

Hindi ka lekha apne aap mein bahut ruchikar hai achcha laga kisine hindi m corona ke bhay ko vyakt kiya hai, us bouquet wali ki hi tarah mere aas paas bhi bahut se anginat gyani rehte hai jo hidayat dene m jara bhi der nhi lagate lekin uska anusaran karna unki dictionary mein sabse kathin karya ki tarah hai|

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